किसान दोगुनी होगी पैदावार, यहाँ जानिये खरीफ के सीजन में अरहर में जोताई से लेकर खाद-पानी की जानकारी

अरहर की खेती करने से किसान की पैदावार दोगुनी होगी, खरीफ के सीजन में अरहर में जोताई से लेकर खाद और पानी की जानकारी यहाँ प्राप्त करें। इस लेख में हम अरहर की खेती के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

खरीफ के सीजन में अरहर की खेती

    अब किसान रबी की फसल की कटाई के बाद खरीफ की फसल की चिंता करने लगेंगे। वह शायद सोचने लगा होगा कि अब हम कौन-सी फसल बोएंगे, कैसे खेती करेंगे और कितना मुनाफा मिलेगा. इसलिए, अगर कोई किसान अरहर की खेती करना चाहता है, तो आज हम अरहर की खेती कैसे करें। जो उन्हें अच्छा लाभ देता है।

    क्योंकि सही तरीके से खेती नहीं की गई तो उतनी ही मेहनत और खर्च होगी। लेकिन कम उत्पादन होगा। जिससे किसानों को भी पैसा नहीं मिलेगा। अरहर की दाल की कीमत अच्छी है, तो चलिए जानते हैं कि खरीफ के सीजन में अगर किसान अरहर की खेती करते हैं तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    खरीफ के सीजन में अरहर की खेती: जोताई से लेकर खाद और पानी की पूरी जानकारी

    अरहर की खेती एक लाभदायक विकल्प है, जो सही तकनीकों के उपयोग से किसानों को दोगुनी पैदावार दे सकती है। आइए जानते हैं खरीफ के मौसम में अरहर की खेती के हर चरण की विस्तृत जानकारी:


    1. भूमि की तैयारी (जोताई)

    • उपयुक्त मिट्टी: अरहर के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
    • जोताई की प्रक्रिया:
      • खेत की 2-3 गहरी जोताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
      • मिट्टी में जल निकासी की व्यवस्था करें, क्योंकि जलभराव अरहर की फसल के लिए हानिकारक है।
      • अंतिम जोताई के समय खेत में 10-12 टन गोबर की खाद या वर्मी-कंपोस्ट डालें।

    2. बीज का चयन और बुवाई

    बीज का चयन:

    • ऊंची गुणवत्ता और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
    • लोकप्रिय किस्में: टीजेटी 501, आईसीपीएल 87, पंत ए 3 आदि।
    • बुवाई से पहले बीजों को थायरम (2 ग्राम/किलो बीज) या कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें।

    बुवाई का समय:

    • खरीफ मौसम में बुवाई जून के अंत से जुलाई के पहले सप्ताह तक करें।
    • मानसून की पहली बारिश के तुरंत बाद बुवाई करना सबसे अच्छा रहता है।

    बुवाई की विधि:

    • कतारों में बुवाई करें।
    • कतार से कतार की दूरी 45-60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखें।

    3. खाद और उर्वरक प्रबंधन

    • खेत में बुवाई से पहले 10-12 टन जैविक खाद डालें।
    • रासायनिक खाद:
      • नाइट्रोजन: 20 किलो/हेक्टेयर
      • फॉस्फोरस: 40-50 किलो/हेक्टेयर
      • पोटाश: 20-25 किलो/हेक्टेयर
    • सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक सल्फेट का उपयोग करें।
    • फसल के अच्छे विकास के लिए, फूल आने के समय और फली बनने के समय अतिरिक्त खाद दें।

    4. सिंचाई प्रबंधन

    • अरहर कम पानी वाली फसल है, लेकिन सही समय पर सिंचाई जरूरी है।
    • पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें।
    • दूसरी सिंचाई फूल आने के समय और तीसरी सिंचाई फली बनने के समय करें।
    • जलभराव से बचने के लिए खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।

    5. खरपतवार नियंत्रण

    • पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद करें।
    • खरपतवार नियंत्रित करने के लिए फ्लुक्लोरालिन या पेन्डीमेथालिन का उपयोग करें।
    • खेत को खरपतवार मुक्त रखने से फसल की वृद्धि बेहतर होती है।

    6. कीट और रोग प्रबंधन

    मुख्य कीट:

    • फली छेदक: नीम तेल (5%) का छिड़काव करें।
    • सफेद मक्खी: इमिडाक्लोप्रिड का 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें।

    प्रमुख रोग:

    • उखटा रोग: बीज उपचार और रोग-प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।
    • झुलसा रोग: मैनकोज़ेब या क्लोरोथालोनिल का छिड़काव करें।

    7. कटाई और भंडारण

    • फसल की कटाई तब करें जब फलियां पूरी तरह पक जाएं और भूरी हो जाएं।
    • कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखाएं और नमी रहित स्थान पर भंडारित करें।

    8. दोगुनी पैदावार के लिए सुझाव

    • मिश्रित खेती: अरहर के साथ मूंग, उड़द, या सोयाबीन उगाएं।
    • फसल चक्र: खरीफ में अरहर और रबी में गेहूं या सरसों की खेती करें।
    • संवर्धित तकनीक: ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग का उपयोग करें।

    लाभ:

    1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
    2. फसल से अधिक लाभ मिलता है।
    3. कम लागत में ज्यादा उत्पादन संभव है।

    इन उपायों को अपनाकर किसान खरीफ के सीजन में अरहर की बेहतर और दोगुनी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। 🌾

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