किसानों को एक साथ दो फसलों की खेती से डबल मुनाफा मिलता है. जानिए कौन सी दो फसल एक खेत में बोकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।
एक साथ दो फसलों की खेती से कमाई
किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए कई तरीके अपना रहे हैं, जिसमें एक साथ दो फसल उगाना भी शामिल है. आपको बता दें कि किसान एक साथ दो फसल उगाकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन इसके लिए भी किसानों को कई बातों का ध्यान रखना होता है, जैसे कि कौन सी दो फसलें उगाई जा सकती हैं, कितना उर्वरक डालना चाहिए और किस सम

गन्ने और सरसो की खेती
आज हम गन्ना और सरसों की बात कर रहे हैं। आपको बता दें कि गन्ना और सरसों को मिलाकर बोया जाए तो अच्छा उत्पादन मिल सकता है। जब तक समय है, किसान गन्ना और सरसो को शरद ऋतु में लगा सकते हैं। जो अक्टूबर में सही होगा। गन्ने वैसे भी ग्रीष्मकालीन में बोया जाता है। जो अप्रैल से जून तक चलता है। लेकिन शरद कालीन में उसमें सरसों की खेती भी की जा सकती है।
जब गन्ना को शरद ऋतु में सरसो लगाते हैं, तो एक हेक्टेयर में 110 किलोग्राम फास्फोरस, 75 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम पोटेशियम और 8 किलोग्राम फेरस सल्फेट डाला जाता है। जिससे उत्पादन बढ़ता है। किसानों को बड़े पैमाने पर खेती करके अच्छा मुनाफा कमाना चाहिए, इसलिए इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। चलिए जानते हैं कि एक हेक्टेयर में सरसों और गन्ना लगाने से कितना उत्पादन मिलेगा।
कितना होगा उत्पादन
यदि गन्ना और सरसो एक साथ उगाते हैं तो लगाने के नियमों को भी मानना होगा। यह कहता है कि सरसों और गन्ना को एक साथ लगाने से पहले, दो लाइनों के मध्य तीन से चार फुट की जगह रखें। जिससे सरसों की खेती कर सकें। इंटरक्रॉपिंग पद्धति से सरसों गन्ना एक साथ उगाने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 1400 से 1800 क्विंटल गन्ना और 15 से 20 क्विंटल सरसों मिलेंगे। इस प्रकार न्यूनतम और अधिकतम उत्पादन की सूचना दी गई है।
यानी किसान एक ही खेत में डबल मुनाफा कमा सकते हैं अगर उनके पास बहुत अधिक जमीन नहीं है। जिसमें केवल शरद ऋतु का चयन करना होगा। तभी सरसों की खेती की जा सकेगी। जो अक्टूबर से नवंबर तक चलता है। लेकिन अगर किसान सिर्फ गन्ना उगाना चाहते हैं तो वे इसे ग्रीष्मकालीन ऋतु में भी कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन में बोई गई गन्ना की फसल शरद ऋतु से कम उपज देती है। किसान दोनों चीजों को अपनी सुविधानुसार ध्यान में रखकर खेती कर सकते हैं।
किसानों की निकल पड़ी: एक साथ दो फसलों की खेती से करें डबल मुनाफा
खेती-बाड़ी में लगातार बढ़ती चुनौतियों के बावजूद, किसान अपनी मेहनत और समझदारी से न केवल खेती को लाभकारी बना रहे हैं, बल्कि नई-नई तकनीकों और तरीकों को अपनाकर अपनी आमदनी भी बढ़ा रहे हैं। ऐसी ही एक तकनीक है इंटरक्रॉपिंग यानी एक साथ दो फसलों की खेती करना। इस पद्धति से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन और दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं।
इंटरक्रॉपिंग क्या है?
इंटरक्रॉपिंग का मतलब है एक ही खेत में दो या अधिक फसलों की खेती करना। इसमें मुख्य फसल के साथ ऐसी सहायक फसल लगाई जाती है जो भूमि, पोषक तत्वों, पानी और धूप का समान रूप से उपयोग कर सके। इससे न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।
कौन-कौन सी फसलें एक साथ बोई जा सकती हैं?
- गेहूं और सरसों
- गेहूं और सरसों की फसल एक साथ बोने पर किसानों को डबल फायदा मिलता है।
- सरसों गेहूं की तुलना में जल्दी पक जाती है, जिससे दूसरी फसल को नुकसान नहीं होता।
- दोनों फसलें कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं।
- मक्का और मूंगफली
- मक्का और मूंगफली की फसल एक बेहतरीन संयोजन है।
- मक्का ऊंचाई में बढ़ती है, जबकि मूंगफली जमीन के पास फैलती है।
- मूंगफली मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है, जिससे मक्का को पोषण मिलता है।
- गन्ना और धनिया
- गन्ना लंबी अवधि वाली फसल है, जबकि धनिया कम समय में तैयार हो जाती है।
- धनिया गन्ने के बीच के स्थान का बेहतर उपयोग करती है।
- इससे खेत में नमी बनी रहती है और गन्ने की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- चावल और मछली पालन
- धान के खेत में मछली पालन एक नया और लाभकारी तरीका है।
- मछलियां खेत में मौजूद कीड़ों को खाकर फसल को नुकसान से बचाती हैं।
- चावल और मछली दोनों से एक साथ कमाई होती है।
इंटरक्रॉपिंग के फायदे
- दोगुना उत्पादन: दो फसलों की उपज मिलने से आमदनी बढ़ती है।
- संसाधनों का बेहतर उपयोग: भूमि, पानी और उर्वरकों का अधिकतम उपयोग होता है।
- खतरे में कमी: अगर एक फसल खराब हो जाए तो दूसरी से नुकसान की भरपाई हो सकती है।
- मिट्टी की उर्वरता: सहायक फसलें मिट्टी को पोषक तत्व देती हैं।
किन बातों का ध्यान रखें?
- दोनों फसलों की जलवायु और पोषण संबंधी आवश्यकताएं मिलती-जुलती हों।
- फसलों की जड़ें गहराई में अलग-अलग स्तर पर पोषण ग्रहण करती हों।
- खेत की तैयारी और बीज की मात्रा का संतुलन सही तरीके से बनाएं।
निष्कर्ष
इंटरक्रॉपिंग खेती का एक ऐसा तरीका है जो न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। सही फसलों के संयोजन और अच्छी योजना से किसान अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
तो इस सीजन में आप भी अपनाएं इंटरक्रॉपिंग और अपनी मेहनत का दोगुना फल पाएं!